पीटर डटन ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए गाजा से भाग रहे फिलिस्तीनी लोगों को दिए जाने वाले सभी वीजा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
विपक्षी नेता ने ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठन (ASIO) पर ऑस्ट्रेलिया में भाग कर आ रहे लोगों पर "जांच और तलाशी नहीं लेने" का आरोप लगाया, उन्होंने दावा किया कि इससे "राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है"।
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि इस समय लोगों को उस युद्ध क्षेत्र से यहाँ आना चाहिए... ऐसा करना समझदारी नहीं है।"
डाटन ने कहा कि हमास एक "सूचीबद्ध आतंकवादी संगठन" है और अधिकारी लोगों की "पहचान या निष्ठा" के बारे में सुनिश्चित नहीं हो सकते।
डाटन ने कहा कि उनके प्रस्तावित उपाय भेदभावपूर्ण नहीं हैं, और उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने समुदाय में तनाव बढ़ाया है।
हालांकि, इस्लामोफोबिया रजिस्टर ने उनकी टिप्पणियों को "बेहद परेशान करने वाला और ख़तरनाक रूप से भड़काऊ" कहा है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, "यह सुझाव देकर कि ऑस्ट्रेलिया में सुरक्षा की तलाश में आने वाले लोगों के एक पूरे समूह को रोक दिया जाना चाहिए, डाटन शर्मनाक तरीके से हानिकारक स्टीरियोटाइप को बढ़ावा दे रहे हैं और संवेदनशील लोगों को, जो अकल्पनीय भयानक स्थिति से भाग रहे हैं, उसे महसूस कर रहे हैं, उनको बदनाम कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि बयानबाजी में सबूतों का अभाव है, "यह नफ़रत और नस्लवाद को बढ़ावा देता है" और "डर और विभाजन" को भड़काता है।
रविवार को प्रधानमंत्री ने डाटन पर "डर फैलाने" का आरोप लगाया।
यह आलोचना तब हुई जब ASIO के महानिदेशक माइक बर्जस ने राजनेताओं को भाषा के प्रयोग में "सावधान" रहने की चेतावनी दी, उन्होंने कहा कि "भड़काऊ भाषा हिंसा की ओर ले जाती है"।
एबीसी के इनसाइडर्स कार्यक्रम में बर्जस ने कहा कि ASIO उन वीज़ा आवेदनों पर सुरक्षा आकलन करता है जिन्हें संभावित रूप से चिंताजनक माना गया है।
उन्होंने कहा, "महत्वपूर्ण बात यह है: कि सुरक्षा जांच होती है।"

ASIO Director-General Mike Burgess said the institution is oversee potentially concerning visa applications from those fleeing Gaza. Source: AAP / Lukas Coch/AAP Image
उन्होंने कहा कि जिन आवेदनों में "बयानबाजी" होती है, वे समस्या नहीं हैं। लेकिन जो वैचारिक या चरमपंथी वैचारिक समर्थन का संकेत देते हैं, वे समस्या हैं।
उन्होंने कहा कि हमास को वित्तीय सहायता या कोई और सहायता प्रदान करना, अयोग्यता का आधार हो सकता है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया द्वारा हमास को आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी गयी है।
गाजा से भागकर कितने लोग ऑस्ट्रेलिया पहुंचे हैं?
7 अक्टूबर से 12 अगस्त के बीच फिलिस्तीनियों द्वारा 10,033 वीज़ा आवेदन किए गए। केवल 29 प्रतिशत को ही मंजूरी दी गई।
गृह मंत्रालय ने एसबीएस एक्जामिनेस को बताया कि फिलिस्तीनियों के 7,111 वीज़ा आवेदनों को अस्वीकार कर दिया गया और 2,922 माइग्रेशन और अस्थायी वीज़ा दिए गए।
प्रवक्ता ने कहा, "इनमें से 2,568 विज़िटर वीज़ा थे, 354 को अन्य प्रकार के वीज़ा दिए गए, जिनमें 95 पारिवारिक वीज़ा, 39 रेसीडेंट रिटर्न वीज़ा, 74 स्किल माइग्रेशन वीजा, 51 छात्र वीज़ा, 87 अन्य अस्थायी वीज़ा और 8 अन्य वीज़ा शामिल हैं।"
विभाग ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए "एक तरह के वीज़ा तक सीमित नहीं है"।
उन्होंने कहा, "हर किसी की स्थिति अलग होती है, और गृह मंत्रालय दृढ़ता से लोगों को सलाह देता है कि वे अपने लिए सबसे उपयुक्त वीज़ा के लिए आवेदन करते समय अपनी परिस्थितियों पर विचार करें।"
गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के बमबारी अभियानों और जमीनी हमलों में 40,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं।
वहाँ से भागकर आए लोग किस वीज़ा के लिए आवेदन कर सकते हैं और इसकी प्रक्रिया क्या है?
ऑस्ट्रेलिया में गाजा से भागकर आए लोगों में से कई लोग अस्थायी वीज़ा के ज़रिए आए हैं, जिसमें विज़िटर वीज़ा भी शामिल है, और आने के बाद सुरक्षा वीज़ा के लिए आवेदन किया है।
अस्थायी वीज़ा तीन से 12 महीने तक रहता है, और धारक काम नहीं कर सकता या शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा का उपयोग नहीं कर सकता।
विभाग वर्तमान में सिफारिश करता है कि "काफ़ी प्रभावित क्षेत्रों" से आने वाले लोग जो अस्थायी वीज़ा पर आए हैं और उनकी "मानक वीज़ा मार्ग या वापसी" तक पहुँच नहीं हैं, वे ब्रिजिंग वीज़ा ई
यह एक "अल्पकालिक" ब्रिजिंग वीज़ा है जो धारक को "कानूनी रूप से ऑस्ट्रेलिया में रहने की अनुमति देता है, जब तक कि वे एक ठोस वीज़ा प्राप्त करके या ऑस्ट्रेलिया को छोड़ने की व्यवस्था करके अपनी आव्रजन यानि इमीग्रेशन स्थिति को हल नहीं कर लेते"।
अस्थायी वीज़ा और सुरक्षा वीज़ा, सुरक्षा और चरित्र प्रावधानों के अधीन हैं। इसका मतलब है कि किसी व्यक्ति की अस्थायी वीज़ा के लिए आवेदन करते समय और यदि वे सुरक्षा वीज़ा के लिए आवेदन करते हैं, तो उनकी जाँच की जाएगी।
इमिग्रेशन एडवाइस एंड राइट्स सेंटर (IARC) के प्रिंसिपल सॉलिसिटर अली मोजताहेदी ने एसबीएस एग्जामिन्स (SBS Examines) को बताया कि प्रोटेक्शन वीजा किसी शरणार्थी या सुरक्षा की जरूरत वाले व्यक्ति को ऑस्ट्रेलिया में स्थायी या अस्थायी आधार पर रहने की अनुमति देता है, और यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे इस देश में कैसे पहुंचे।
प्रोटेक्शन वीजा आवेदकों को व्यापक मानदंडों का पालन करना होता है जिसमें संभावित रूप से ASIO द्वारा जांच की जा सकती है, यदि उन्हें सुरक्षा के लिए संभावित जोखिम के रूप में चिह्नित किया जाता है।
यदि कोई व्यक्ति ऑस्ट्रेलिया के सुरक्षा दायित्वों में पूरा नहीं उतरता है और यदि वह चरित्र/सुरक्षा मानदंडों को पूरा नहीं करता है, तो उसे वीजा देने से मना किया जा सकता है।
जब गाजा से भाग रहे लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए डाटन के आह्वान की बात आती है, तो श्री मोजताहेदी ने कहा कि "चरित्र प्रावधानों के तहत" सभी वीजा को अस्वीकार करने की "काफी व्यापक शक्ति" है।
उन्होंने बताया, "किसी व्यक्ति को इस आधार पर वीजा देने से मना किया जा सकता है कि उसका किसी ऐसे समूह से संबंध है जो आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है, उस व्यक्ति ने युद्ध अपराध किया है, उस व्यक्ति के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने, समुदाय में विवाद पैदा करने या एएसआईओ द्वारा सुरक्षा के लिए जोखिम के रूप में मूल्यांकन किए जाने का जोखिम है।"
श्री मोजतहेदी ने कहा कि ASIO किसी व्यक्ति को "सुरक्षा के लिए जोखिम" मान सकता है यदि वह "अन्य बातों के अलावा राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसा में शामिल होता है या सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देता है"।
एक ओर जबकि सरकार वीज़ा आवेदनों की एक बड़ी सँख्या को कैसे प्रबंधित करे, इस पर विचार कर रही है, कुछ लोगों ने चेतावनी दी है कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण सामाजिक सामंजस्य पर चिंताजनक प्रभाव डाल सकता है।
ऑस्ट्रेलिया की सेटलमेंट काउंसिल की सीईओ, सैंड्रा एल्हेल्व ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया "एक सफल बहुसांस्कृतिक देश है, लेकिन हमारे सामाजिक सामंजस्य को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए"।
"राजनीतिक नेताओं की विभाजनकारी टिप्पणियाँ कुछ समुदायों को निशाना बनाती हैं, समुदायों के बीच मतभेद की भावनाओं को बढ़ावा देती हैं और पूरे देश में सामंजस्य को प्रभावित करती हैं।"
सुश्री एल्हेल्व ने कहा कि गाजा से भागने वालों पर लागू की जा रही प्रक्रियाओं का इस्तेमाल, अतीत में अन्य शरणार्थियों के लिए भी किया गया है।
"हमें सभी के लिए समान मानवीय प्रक्रियाएँ लागू करनी चाहिए,और नस्ल, भाषा, मूल स्थान या आस्था के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए।"