उदाहरण के तौर पर, कुछ बच्चों को अपने माता-पिता से अलग होने पर तनाव हो सकता है। दूसरे कुछ इस बात के लिए भी परेशान हो सकते हैं कि कहीं उन्हें खेल के मैदान में या अपने दोस्तों से फिर मिलने पर कोविड-19 न हो जाए।
स्कूल लौट रहे बच्चों के माता-पता और देखभालकर्ता इस सोच में हैं कि वे किस तरह अपने बच्चों की स्कूल लौटने में सहयोग कर सकते हैं। यह पांच तरीके आपकी मदद कर सकते हैं।
1. रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में फिर लौटना
बड़ों की ही तरह, बच्चों और किशोरों के लिए भी लॉकडाउन में अलग तरह के दैनिक रूटीन स्थापित हो गये थे। यह भी संभव है कि उन्हें सामान्य से अधिक टीवी या मोबाइल देखने की आदत हो गयी हो।
घर से स्कूल जाने के इस बदलाव को आसान बनाने के लिए सोने और उठने का एक नियमित समय तय करना काफ़ी सहायक हो सकता है। इसमें माता-पिता बच्चों की इच्छाअनुसार उनकी दिनचर्या तय कर सकते हैं। जहाँ किशोर टीवी और मोबाइल पर रोकटोक लगाये जाने पर नाराज़ हो सकते हैं, मुमकिन है कि जब माता-पिता उन्हें इस रोकटोक का कारण समझाएं, तो वे उनकी बात सहजता से मान जाएं।
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2. सामंजस्य बैठाने का समय दें
स्कूल लौटना बच्चों के लिए भावनात्मक रूप से बहुत बड़ा बदलाव हो सकता है। वे एक ही समय पर उत्साहित भी हो सकते हैं, अनिश्चित भी हो सकते हैं और थक भी सकते हैं। शुरुआत के दिनों में कुछ बच्चे बाकियों के बनिस्बत अधिक थकान महसूस कर सकते हैं, तो कुछ अधिक संवेदनशील भी हो सकते हैं।
अगर आपके बच्चे घर पर अधिक संवेदनशील होते हैं, तो परेशान न हों: यह इसलिए भी हो सकता है क्योंकि वह घर पर अपनी भावनाएं व्यक्त करने में अधिक सहज हों, और घर उनकी ‘सेफ प्लेस’ हो!
ऐसे में आप बच्चों की मदद कर सकते हैं ताकि वे अपनी भावनाओं को नाम दे सकें, मसलन तनाव, और आप प्यार से उन्हें समझा सकें कि खुद को अभिव्यक्त करने के क्या बेहतर तरीके हो सकते हैं।
अपने बच्चों को लेकर थोड़ा और सहनशील रहिये, और छोटी-छोटी बातों के लिए परेशान मत होइए।
3. बच्चों की परेशानियां समझिये

Bentleigh Secondary College students are seen returning to school as COVID-19 restrictions are eased across Victoria, in Melbourne, Wednesday, July 28, 2021. Source: AAP
बच्चों और किशोरों को कोविड-19 सम्बन्धी कई चिंताएं हो सकती हैं, जिसमें दोस्तों से फिर मिलना और स्कूल वापिस जाना शामिल हैं। छोटे बच्चों में लंबे समय के बाद अपने परिवारों से अलग होने को लेकर भी असहजता हो सकती है।
अगर आपके बच्चे स्कूल में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं, तो कोविड-19 के बारे में उन्हें सरल और सही जानकारी दें। उन्हें प्यार से समझायें कि उनके आसपास सभी बड़े उनकी सहायता के लिए हैं, और उन्हें स्वास्थ्य रखना चाहते हैं।
उनके साथ मिलकर समस्या सुलझाने का प्रयास करिए: बच्चों को उन चीज़ों पर ध्यान केन्द्रित करने में सहायता दीजिये जो उनके नियंत्रण में हैं, बजाय कि उन चीज़ों के जो किसी के भी नियंत्रण के बाहर हैं।
चाहे उनकी चिंता का करण जो भी हो, यह आवश्यक है कि आप उनकी चिंताओं को समझें, और उन्हें स्वीकारें। आप अपने बच्चों को यह भी समझा सकते हैं कि इस तरह महसूस करने वाले वे अकेले नहीं हैं, और यह कि मन में इस तरह के सवाल उठना सामान्य है। उन्हें सहज करते हुए और खुद सहज रहते हुए आप स्कूल जाने के सकारात्मक पहलुओं पर बात कर सकते हैं, ताकि बच्चों की चिंताएं कम की जा सकें।
4. सहानुभूति सिखाएं
लॉकडाउन के दौरान बच्चों और किशोरों के अनुभव अलग-अलग हो सकते हैं। उनके स्कूल लौटने को लेकर नज़रिए भी अलग हो सकते हैं। अगर आपके बच्चे इस बात को समझ सकेंगे, तो वो एक बेहतर दोस्त बन सकेंगे।
स्कूल लौटने से पहले अपने बच्चों को समझायें कि उनके कुछ दोस्त स्कूल लौटने को लेकर अधिक तनावग्रस्त हो सकते हैं। प्राइमरी स्कूल के स्तर पर कुछ बच्चे मास्क पहनने को लेकर अलग-अलग निर्णय ले सकते हैं।
अगर आपके बच्चे कुछ ही दोस्तों के साथ ‘फ्रेंडशिप बबल’ में रहे हैं, तो उनको प्रोत्साहित करिए कि वे उन बच्चों को भी अपने साथ शामिल करें जो इस छोटे से समूह का हिस्सा नहीं रहे हैं। दूसरे बच्चों के प्रति सहानुभूति रखने और उनकी भावनाओं का सम्मान करना न ही केवल आपके बच्चों के लिए सामाजिक रूप से फायदेमंद होगा, बल्कि उनकी सामाजिक भावनात्मकता, जिसे सोशियोइमोशनल स्किल्स कहा जाता है, बेहतर होंगी।
5. सकारात्मक रहें

Parents who are optimistic can help their children develop a positive attitude to being back at school. Source: AAP
याद रखें कि अधिकांश बच्चे चुनौतियों के साथ आसानी से सामंजस्य बिठा लेते हैं। अभिभावक बच्चों और किशोरों से उन विषयों पर बात कर सकते हैं जो बच्चों को स्कूल के बारे में पसंद हैं। स्कूल की मज़ेदार कहानियां या यादगार आयोजनों के बारे में बात करना इस प्रक्रिया को आसान बना सकता है।
यह बहुत ज़रूरी है कि अगर आपके बच्चे अब भी घर पर रह कर ही पढ़ना चाहते हैं, तो आप उनकी भावनाओं का सम्मान करें। आप इस विषय में उनके अध्यापकों से बात कर सकते हैं। हालांकि, इस संबंध में आपकी सकारात्मकता और आत्मविश्वास बच्चे के लिए बहुत ज़रूरी है। उनकी चिंताओं में अपनी चिंताएं मिलाने से बचें: माता-पिता की चिंताएं बच्चों के साथ लंबे समय तक रह सकती हैं!
अगर आप अपने बच्चों में स्कूल लौटने को लेकर एक ख़ास रवैया या परेशानी वाला कोई भी व्यवहार देख रहे हैं, तो उनके स्कूल या जीपी उन्हें अतिरिक्त सहायता से जोड़ सकते हैं। इसके अलावा किड्स हेल्पलाइन, बियॉन्ड ब्लू और हेडस्पेस कुछ बेहद मददगार संसाधन हैं।
यह लेख मूल रूप से द कन्वर्सेशन में प्रकाशित हुआ था जिसे क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेंस के तहत यहाँ छापा गया। मूल लेख यहां पढ़ें।