भारतीय मूल के फार्मेसिस्ट की वजह से बदले नियम

Raj Gupta in his Pharmacy

Source: SBS News

हो सकता है कि राज गुप्ता की कहानी आपने पहले भी सुनी हो और उससे आप समुदाय की सेवा के लिए प्रभावित भी हुए हों, लेकिन राज की कहानी ये भी बताती है कि अच्छी कोशिशों में नियम-क़ायदे बदलने की भी ताक़त होती है.


जब कोई बड़ी आपदा आती है और आप उससे सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं तो शायद आम जिंदगी या दिनचर्या में उससे ज्यादा प्रबाव नहीं पड़ता है. लेकिन कभी कभी इसके गंभीर परिणाम भी देखने को मिलते हैं. एक उदाहरण के तौर पर सोचिए कि अगर किसी की बीमार की डॉक्टर द्वारा दी गयी ज़रूरी दवा की पर्ची खो जाए. या फिर वो किसी आपदा के चलते अपने पास की फार्मेसी से अलग हो जाए.

बात छोटी सी है लेकिन है ना बड़ी आफ़त, ऑस्ट्रेलिया में बीते आग से सीज़न में भी कई लोगों को इस तरह की परेशानियां उठानी पड़ी होंगी लेकिन न्यू साउथ वेल्स के फार्मासिस्ट राज गुप्ता ने इस आपदा के समय भी अपने किसी भी ग्राहक के लिए अपनी सेवा में कोई बाधा नहीं आने दी.

आग के दौरान राज गुप्ता लोगों की मदद के लिए आगे आए

ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई नागरिक अब ये जानते हैं कि, जब जंगली आग फैलती है तो बड़ी तेज़ी से फैलती है. और अगर ये आग आपके घर के आस पास लगी है. या फिर आग के रास्ते में आपका घर पड़ता है तो लोगों के पास जल्द से जल्द घर छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं रहता. जिसका मतलब है कि माहौल चिंता और हड़बड़ी का होता है ऐसे में बहुत संभावना है कि आप अपने कई ज़रूरी कागज़ात साथ नहीं ले पाते.

न्यू साउथ वेल्स के मलूआ बे में फार्मेसिस्ट राज गुप्ता कहते हैं कि इन ज़रूरी चीज़ों में दवाएं और डॉक्टर द्वारा दी गयी दवा की पर्चियां भी शामिल हो सकती हैं. सामान्यतया होता ये है कि बिना डॉक्टर की आधिकारिक पर्ची के एक फार्मेसी केवल तीन दिन की दवा ही दे सकती है. वो भी इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस तरह की दवा है. लेकिन बुशफायर का वक्त सामान्य नहीं था.

जिसवक्त मलुआ बे से आग का ख़तरा टला यहां ना तो बिजली थी और ना ही इस वजह से इंटरनेट तक लोगों की पहुंच, लेकिन ये सारी परेशानियां भी राज गुप्ता को समुदाय तक अपनी सेवाएं पहुंचाने से नहीं रोक पाईं. मिलिए जूली मार्टिन से जिन्होंने किसी तरह अपना प्रिस्क्रिप्शन तो बचा लिया लेकिन उनकी दवाएं खत्म हो रही थीं.

प्रभावितों में से एक हैं राज भी

राज गुप्ता भी आग प्रभावितों में से एक हैं. जिनका घर आग में जलकर खाक़ हो गया था. वो बेटमैन बे में एक आपातकालीन घर में रह रहे थे. लेकिन फिर भी वो हर रोज़ मलुआ बे जाते थे ताकि ज़रूरतमंदों के लिए अपनी फार्मेसी को खुला रख सकें. दुनिया भर  के मिलियन्स लोगों ने एसबीएस न्यूज़ पर फार्मेसिस्ट ऑनलाइन पर फीचर देखा था. राज की कहानी हर किसी के दिल में घर कर गई. स्थानीय स्वास्थ प्रशासन ने भी इस बात का संज्ञान लिया.

स्वास्थ्य विभाग ने बदले नियम

स्वास्थ्य विभाग ने अब कई राज्यों में बुश फायर की स्थिति के लिए कुछ खास प्रावधान किए हैं. ख़ास तौर पर उन लोगों के लिए जिन्होंने आग में डॉक्टर द्वारा दी गयी दवा की पर्ची खो दी है. या फिर जो फार्मेसी से सड़क मार्ग से कट चुके हैं.  ये सभी लोग अब बिना डॉक्टर की आधिकारिक पर्ची के मार्च के अंत कर सामुदायिक फार्मासिस्ट से दवा ले सकते हैं. हालांकि राज गुप्ता बताते हैं कि बिना बिजली की सप्लाई के तब वो केवल कैश पर ही दवा दे रहे थे.

राज कहते हैं कि केवल वो ही नहीं थे जो लोगों की मदद कर रहे थे. वो बताते हैं कि सभी स्थानीय व्यवसायियों ने लोगों की मदद के लिए वो किया जो वो उस वक्त कर सकते थे. वो बताते हैं कि स्थानीय सुपर मार्केट के मालिक के पास एक बॉक्स भरकर I-O-U नोट जमा हो गए थे. जो कि इस छोटे से कस्बे की सामुदायिक भावना दिखाता है. राज गुप्ता भारत के पंजाब प्रांत में पैदा हुए. और करीब 28 साल पहले वो ऑस्ट्रेलिया आए थे. वो कहते हैं आस्ट्रेलिया एक बेहतरीन जगह है. 

राज गुप्ता मैलुआ में समुदाय के लिए कुछ और भी करना चाहते हैं वो कहते हैं कि कस्बे में कोई G-P नहीं है. ज़ाहिर है ऐसे में लोगों को डॉक्टर को दिखाने के लिए बेटमैन्स डे तक जाना होता है जो कि 20 किलोमीटर दूर है. राज अब एक स्थानीय क्लीनिक खुलवाने के लिए सोशल मीडिया अभियान चला रहे हैं.


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